-दैवासुर संपत्ति -सिफ़ाते मलकूती व् शैतानी -
भगवान ने फरमाया -
सुन अर्जुन है क्या देवताई सिफात -दिलेरी ओ इल्मो अमल में सबात ,
सखा ,जब्त ,यग,दिल में पाकीजगी -तिलावत ,रियाजत ,सलामत रवी .II 1 II
अहिंसा ,सदाकत ,करम ,तर्के ऐश -न फितरत का चंचलपना और न तैश ,
दिले बेहवस ,पुर सुकूं ,तबअ नर्म -न दिल तंग होना ,निगाहों में शर्म .II 2 II
सबूरी ,सिफ़ा ,जोर ,उफूये खता -हसद से तकब्बुर से रहना जुदा ,
जब इन नेक वस्फों पे मायल है वो -तो इन्सां फरिश्तानुमा कुल है वो .II 3 II
दोरंगी गुरूर ,औ नुमायश ,गजब -सुखन तल्ख़ ,बातें जहालत की सब ,
इन्हीं से उस इंसान की पहचान है -सदा सेजो फितरत का शैतान है.II 4 II
है नेकू खसायल,रिहायी पसंद-शयातीं की खसलत से है कैदो बंद ,
तुझे रंजो गम क्या ,पांडू के लाल -कि फितरत से तू है फ़रिश्ता खिसाल .II 5 II
ज़माने में जितने भी इन्सां हुए -फ़रिश्ते कोई ,कोई शैतां हुए ,
सुना है मुफस्सिल फरिश्तों का हाल-जो शैतां हैं ,सुन अब उनका हाल .II 6 II
खबासत के पुतले हैं इन्हें क्या तमीज -ये करने की चीज ,या न करने की चीज ,
न सत इनके अन्दर ,न पाकीजापन -मुअर्रा है शाइस्तगी से चलन .II 7 II
वो कहते हैं झूठा है संसार सब -न है इसकी बुनियाद ,न कोई रब ,
करें मर्दों जन मिलके जब मस्तियाँ -उन्हीं मस्तियों से हों ,सब हस्तियाँ .II 8 II
जो हैं इन ख्यालों के बद्कुन बशर -वो खूंखार ,बेरूह ,कोतह नजर ,
उदू बन के दुनिया में आते रहें -जहां में तबाही मचाते रहें .II 9 II
तकब्बुर ,रिया और बनावट से काम -वो तस्कीं न पायें हवस की गुलाम ,
वो खाएं फरेबे ख्यालाते बद-बड़ी में दिखाएँ सदा शद्दो -मद .II 10 II
गेम बेहिसाब उनको ,दिन हो कि रात -मिले फिक्रे-दुनिया से मर कर निजात ,
है मकसूद इनका ,हवस रानियां-हैं मद्दे नजर ऐश की सामानियाँ .II 11 II
उमीदों के फंदों में अटके हुए -गजब और शहवत में लटके हुए ,
बदी से वो दौलत कमाते रहें -जो ऐशो तरब में गंवाते रहें .II 12 II
वो कहता है 'आज एक पायी मुराद -तो कल दूसरी हाथ आये मुराद ,
ये दौलत है मेरी ,ये धन है मेरा -मेरे पास ही ये रहेंगे सदा II 13 II
किया एक दुश्मन को मैंने हलाक -करूंगा मैं औरों को जेरे ख़ाक ,
सुखी हूँ ,कवी ,हाकिमे पुर जलाल -मजे ले रहा हूँ ,कि हूँ बा कमाल .II 14 II
मैं धनवान ,मेरा घराना शरीफ -भला कौन होता है मेरा हरीफ ,
मैं लूंगा मजे यग्य और दान से -'यहीं खाए धोका वो अज्ञान से .II 15 II
ख्यालों के फंदों में जकडे हुए -तवह्हुम के जालों में पकडे हुए ,
तअय्यश से जी को लगाते हैं वो -तो नापाक ,दोजख में जाते हैं वो .II 16 II
वो मगरूर ,जिद्दी हैं ,और ख़ुदपरस्त-वो दौलत ने नश्शे में रहते हैं मस्त ,
जो करते हैं यग तो भी बहरे नुमूद -नहीं हैं वो पाबन्दे रस्मो -कुयूद .II 17 II
वो गुस्ताख ,पुर कीना ओ पुर गुरूर -खुदी मस्तियो तैशो -ताकत में चूर ,
मैं खुद उनंके तन में हूँ ,या गैर के -न खैर उनसे पहुंचे ,सिवा बैर के .II 18 II
ये हासिद ,कमीने जफाकार लोग -ये जिल्लत के पुतले ,ये खूंखार लोग ,
न जिल्लत से इनको निकालूँगा मैं -शिकम में शयातीं के डालूँगा मैं .II 19 II
शिकम में शयातीं के होकर मकीं -ये बहके हुए मुझ तक आते नहीं ,
ये ,अर्जुन जनम पर जनम पायेंगे -ये गिरते ही .गिरते चले जायेंगे .II 20 II
जहन्नुम के हैं तीन दर लाकलाम -तमा ,शहवत और गुस्सा हैं जिनके नाम ,
इन्हें छोड़कर ,इनमे न जाना कभी -न हस्ती को अपनी मिटाना कभी .II 21 II
जो इनसे बचे वो रहे बे खतर-तमोगुन को जाते हैं ये तीन दर ,
मिले उसको आनंद ,कुंती के लाल -उसी को मयस्सर हो ओजे -कमाल .II 22 II
जो इन्सां चले शाश्तर के खिलाफ -हवस के हो ताबिअ करे इन्हाराफ ,
मिले उसको राहत ,न ओजे कमाल -रहे दूर उस से मुकामे विसाल .II 23 II
फकत शाश्तर को बना रहनुमा -कि करना है क्या ,और न करना है क्या ,
बस अब धर्म पर दिल दिए जा तमाम -अमल शाश्तर पर किये जा मुदाम .II 24 II
-सोलहवां अध्याय समाप्त -
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